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राष्ट्राय स्वाहा, इदं राष्ट्राय इदं न मम।

हमारे बारे में

विशाल भारत में फैले लाखों लोग चाहते हैं कि, देश के लिए कुछ अच्छा कर सकें, किसी के आँसू पोंछ सकें, किसी का सहारा बन सकें। किन्तु आवश्यकता है कि कोई उनका विश्वास जीते और उन्हें साथ में जोडे़।

इस वेबसाईट के द्वारा हम उन लोगों को यह विश्वास देना चाहते हैं कि ये ऐसे सेवा-व्रतियों की कहानियाँ हैं, जिनके साथ कदम से कदम मिलाकर चलते हुए आप भी मानवता की सच्ची सेवा कर सकेंगे।

बड़े बड़े नगरो में उभर रही झुग्गी झोपडियाँ हो, या सुदूर वनांचलो में बसे भाई-बहन, घुमंतु जनजातियाँ जिनका न कोई घर न ठिकाना, और... अकाल हो या अतिवृष्टी, आतंक हो या दुर्घटना – ऐसी आपदाओं से जूझते लोग.. इन्हें सहयोग का हाथ बढ़ाकर स्वाभिमानी, स्वावलंबी बनाने में लगे हैं, ये सेवा के लिए समर्पित लोग।

ये सेवाकार्य व्यक्ति को समाज के लिए उपयोगी बनाते हैं। जिनकी मदद की जा रही है उनमें दूसरों की मदद करने का भाव जगाते हैं। समाज से ले रहे हर व्यक्ति को समाज के लिए देने का कर्तव्य भाव जगाते हैं। यही इन कार्यों की विशेषता है।

हमारे देश में 30-35 करोड़ लोगों का ऐसा वर्ग है, जो सुदीर्घ काल से विभिन्न जीवनोपयोगी संसाधनों से वंचित हैं, अभाव ग्रस्त हैं और पीड़ित हैं। उनकी सामाजिक-आर्थिक, एवं शैक्षणिक उन्नति तथा सामुदायिक विकास के लिए संघ के स्वयंसेवक सेवा कार्य कर रहे हैं। आज लगभग 1,30,032 से भी अधिक सेवा कार्य चल रहे हैं। संपूर्ण भारत में समाज एवं राष्ट्रहित को ध्यान में रखते हुए सभी सेवा कार्य चल रहे हैं, लेकिन समाज का बहुत बड़ा वर्ग इन सेवा कार्यों से अंजान है। समाज में चलने वाले ऐसे सफल और प्रभावी कार्यों की और इस सेवा-यज्ञ में जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया ऐसे श्रेष्ठ कार्यकर्ताओं की जानकारी जब समाज को होती है, तब समाज में सेवाभाव जागृत होता है, प्रेरणा जागृत होती है, और अच्छा काम करने का एक विश्वास जागृत होता है।

जीवन और समाज के प्रति आशा जगाती इन कहानियों को सब लोगों तक पहुंचाने के उद्देश्य से सेवाविभाग की वेबसाइट 'सेवागाथा' अस्तित्व में आई। 'आपदा जहां स्वयंसेवक वहां' इस बात को चरितार्थ करती स्वयंसेवकों द्वारा आपदा के समय में किए गए कार्यों की कहानियां भी इस वेबसाइट के माध्यम से सभी तक पहुंचाई जा रही हैं।

सेवा प्रेरणा जगाती है, विश्वास कायम करती है, मनोबल बढ़ाती है, इसी मूल मंत्र को लेकर 9 जुलाई 2017 को भोपाल के समन्वय भवन में तत्कालीन् माननीय सरकार्यवाह श्री भैया जी जोशी के हाथों लोकार्पित सेवागाथा की यह यात्रा अनवरत् जारी है। हिंदी व अंग्रेजी भाषाओं के बाद मराठी , कन्नड़ , व अब गुजराती इन पांच भाषाओं में उपलब्ध है। पहले सिर्फ कहानियां ही वेबसाइट पर उपलब्ध थीं अब कहानियों को छोटे व रोचक वीडियो एवं पोस्टरस के जरिये भी प्रस्तुत किया गया है।सेवा चैनल में एक मिनट में सेवाकथा सुनाने जैसे प्रयोग भी किए गये हैं।प्रत्येक कहानी को सुनने के लिए हर कहानी के साथ पाडकास्ट का विकल्प भी दिया गया है।

यहाँ सेवा कार्यों की कहानियां तीन स्तम्भों जैसे, परिर्वतन यात्रा, समर्पित जीवन एवं सेवादूत के रूप में पढ़ने, सुनने एवं देखने को मिलती हैं। सेवागाथा की कहानियां सभी प्रचलित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म – फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, टेलीग्राम, कू एवं यू ट्युब पर उपलब्ध हैं।

हमारा ध्येय

भारत में हिन्दू समाज को संगठित करते हुए राष्ट्र को वैभव संपन्न बनाने का लक्ष्य लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कार्य कर रहा है। किन्तु आज इस समाज मे 30 करोड़ से अधिक लोग वंचित, पीड़ित एवं अभावग्रस्त हैं। यह एक भीषण सत्य है। इन की उन्नति, प्रगति करना आवश्यक है। इसके लिये “सेवा” यह एक प्रभावी साधन है। सेवा के माध्यम से इन अभावग्रस्त जनों की शिक्षा, स्वास्थ्य , संस्कार, रोजगार की आवश्यकताओं को पूर्ण करते हुए, इन को शेष प्रगत समाज के साथ लाते हुए राष्ट्रनिर्माण के कार्य में सम्मिलित करना, यही संघ द्वारा सेवा का उद्देश्य है। 'सेवा हमारे लिए साधन नही साध्य है।'

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की संगठनात्मक यात्रा में सेवा यह कोई नया विषय नहीं है। संघ की स्थापना के तुरंत बाद नागपुर के पास रामटेक के मेले से लेकर आज के कोरोना आपदा निवारण तक स्वयंसेवकों ने समय समय पर प्राकृतिक तथा मानवजन्य आपदाओं में सेवा के द्वारा ही समाज को संघ का परिचय दिया है। स्वयंसेवकों ने अपने सहज, स्वाभाविक सेवा भाव से अपने क्षेत्र के अभावग्रस्त परिवारों के लिये समग्र विकास और सामाजिक समरसता निर्माण हेतु सेवा-कार्यों का निर्धारण किया है। आज उस का विस्तार और अधिक हो रहा है।

आज अपने देश में संघ के स्वयंसेवक विभिन्न सेवा संस्थाओ द्वारा 1.30 लाख से अधिक सेवाकार्य कर रहे हैं। इस के साथ साथ समाज में ऐसे लाखों भाई-बहिनें हैं जो इसी भाव से पीड़ित जनों की सेवा कर रहे हैं जिन की संख्या 10 लाख से भी अधिक होगी। किन्तु समाज में ऐसा भी एक बडा वर्ग है जो शिक्षित है ,सुविधा संपन्न है किंतु सेवा से उसका दूर-दूर तक कोई लेना देना नहीं है। उस का एक कारण ये भी है की प्रसार माध्यमों ने (media) इन सेवा कार्यों का प्रचार नहीं किया। ऐसे कुछ कारणों से यह संभ्रांत वर्ग इस जानकारी, परिस्थिति एवं अनुभूति के अभाव के कारण सेवा कार्यों से जुड़ नहीं सका। पीड़ित जनों का दु:ख तथा उन के लिये चल रहे सेवाकार्य देखकर इन के मन मे संवेदना जागृत होती है और ये लोग सेवा-कार्यों से जुड़ते हैं। यह हम सब का अनुभव है।

वैसे ही उन सेवाकार्यो की जानकारी सुनने से तथा पढ़ने से भी सेवा-भाव जागृत होता है। ऐसे लोगों तक ऐसी स्थायी सेवा-कार्यों की एवं आपदा में किये गये राहत कार्य और पुनर्वास के कार्यों की जानकारी पहुंचे, वे इसे पढें और किसी सेवाकार्य से जुड़ें, सेवा-कार्यों में सहयोग देवें, इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सेवाविभाग की वेबसाइट “सेवागाथा” आरम्भ की गयी।

Bhaiyyaji Joshi

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सेवा का भाव और करने की प्रेरणा अन्य किसी माध्यम से नही तो दृश्यानुभूति से ही अधिक प्रभावी होती है। मातृ हृदय से ही संपर्क में आए हुए बंधु बहनों के प्रति संवेदना जन्म लेती है और वह संवेदना ही व्यक्ति को कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती है।परिणामत: इस भाव के साथ होने वाली सेवा सेवित जनों को आत्मीयता की अपनेपन की अनुभूति कराता है,और दुर्बलता का भाव समाप्त होकर आत्मविश्वास आत्म सम्मान का भाव बढ़ता जाता है।यही हमारी कल्पना है।

-भैयाजी जोशी

Suhas Hiremath

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सेवा के माध्यम से देश के 30 करोड़. अभावग्रस्त जनों की शिक्षा, स्वास्थ्य , संस्कार, रोजगार की आवश्यकताओं को पूर्ण करते हुए, इन को शेष प्रगत समाज के साथ लाते हुए राष्ट्रनिर्माण के कार्य में सम्मिलित करना, यही संघ द्वारा सेवा का उद्देश्य है। 'सेवा हमारे लिए साधन नहीं साध्य है'

-सुहासराव हीरेमठ, पूर्व अखिल भारतीय सेवा प्रमुख